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न्यू साइंटिस्ट की एक खबर के अनुसार लगभग हर व्यक्ति दिन में सपने देखता है और अधिकतर बार हम हमारे समय का 50% हिस्सा इसमें ही बीता देते हैं. ऐसा सबसे अधिक बार दातुन करते समय होता है.
क्या इससे स्वभाव पर विपरित असर पडता है. कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि दिन में सपने देखना धीरे धीरे उदासीनता की तरफ ले जाता है परंतु हार्वर्ड विश्वविद्यालय के मैथ्यू किलिंग्सवुड और उनके सहयोगियों के अनुसार अच्छी बातों के सपने देखने से उसका सकारात्मक असर भी होता है परंतु उसकी दर काफी कम है.
इसलिए दावे के साथ यह कह पाना कि दिन में सपने देखना हानिकारक ही है, सही नहीं है. रिसर्च बताती है कि दिन में सपने देखने के दौरान दिमाग कई ऐसी बातों और संबंधों के बारे में सोचता है, जिन पर सामान्य परिस्थितियों में ध्यान नहीं जाता। इस दौरान इंसान का ध्यान अपने आसपास के हालात से परे जाकर अजीबोगरीब चीजों पर लगता है। ऐसे में उन चीजों की भी कल्पना कर ली जाती है, जो वास्तव में होती भी नहीं हैं।दिन में सपने देखने वाले ही कामयाबी की मंजिल पर पहुंचते हैं, क्योंकि एक ख्वाब ही किसी व्यक्ति में लक्ष्य को पाने की ललक जगाता है।दिवास्वप्न के वैज्ञानिक पहलुओं पर नजर डालें तो दिन में ख्वाब देखने वाले लोग दुनिया की समस्याओं को ज्यादा तेजी से सुलझाने की क्षमता रखते हैं। एक ताजा शोध के मुताबिक जब दिमाग का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है तो वह समस्या को सुलझाने के लिए अधिक तेजी से काम करता है।
प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित की गई इस शोध की रिपोर्ट के मुताबिक पाया गया है कि दिवास्वप्न के दौरान मानव मस्तिष्क के अंदरुनी हिस्से का डीफॉल्ट नेटवर्क ज्यादा सक्रिय हो जाता है, जो चीजों के बारे में तेजी से सोचने और समस्या के त्वरित निदान में ज्यादा सक्षम होता है।
शोध के मुताबिक लोग अपने जीवन का एक तिहाई हिस्सा दिन में ख्वाब देखते हुए बिताते हैं। यह हमारी पूरी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा है, लेकिन विज्ञान इसे आमतौर पर उपेक्षित कर देता है।